एक वरिष्ठ और राष्ट्रीय स्तर के नेता ने मौजूदा स्वरूप में महिला आरक्षण विधेयक के प्रति अपना विरोध दोहराते हुए लखनऊ में एक कार्यक्रम में कहा था कि यदि विधेयक इस रूप में पारित हो जाता है तो इससे आम महिलाएं नहीं बल्कि उद्योगपतियों और अधिकारियों के घरों में महिलाएं और लडकियां ही लोकसभा और विधानसभाओं से चुन कर जाएंगी। उन्होंने यहां तक कह डाला, मैं यह कहना तो नहीं चाहता, मगर ये महिलाएं वहीं होगी जिन्हें देखकर लड़के सीटियां बजाएंगे।
इस बयान से प्रबुद्ध सामाजिक सरोकारों से जुड़े हुए समाजवादी पार्टी के नेता का बयान तो आज की तुच्छ राजनीति की चरम सीमा पार कर जाता है।लेकिन इस कथन पर सफाई तो बर्दाश्त के काबिल ही नहीं है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने महिलाओं पर सीटी बजाने के अपने बयान पर दलील देते हुए कहा कि उन्होंने यह बयान जानबूझकर दिया था।मुलायम ने कहा कि इन शब्दों को इस्तेमाल करने का मकसद यह था कि इससे लोगों का माथा ठनके और महिला आरक्षण बिल पर चर्चा हो।
क्या हो गया है आज के राजनेताओं को,किस स्तर की राजनीति की जा रही है, एक वरिष्ठ समाजवादी नेता से इस तरह के बयान की उम्मीद की जा सकती है क्या,क्या इससे पहले महिला आरक्षण बिल पर चर्चा नहीं हो रही थी।ऐसा सभी लोग सोच और कह सकते हैं।
लेकिन बिल्कुल सही कहा है मुलायम जी आपने ,आपके बयान से तो माथा ठनक ही रहा था,रही सही कसर बयान पर दलील ने पूरी कर दी।
अगर आज लोहिया होते तो अपने इस काबिल सपूत की काबिलियत पर गर्व से सिर ऊंचा कर रहे होते।आखिर इस सोए समाज को जगाने के लिए उसने अपनी पूरी राजनीति न्यौछावर कर दी।ये भी नहीं सोचा कि इस बयान के बाद समाज में उनकी क्या छवि रह जाएगी।
समाजवादी नेता महिला आरक्षण बिल के मुद्दे पर हर तबके की महिला को बहस के लिए जगाना चाहते हैं।आज महिलाएं इस कदर सो रही हैं कि उनके कानों में जबतक गर्म तेल नहीं डाला जाएगा तब तक ये यूं ही सोती रहेंगी।इस बयान और दलील से ज्यादा गर्म तेल क्या होगा? अगर इस देश की महिलाएं अभी भी नहीं जागी तो मुलायम सिंह यादव जी का बलिदान बेकार हो जाएगा।कृपया सभी महिला बुद्दिजावियों से विनम्र आग्रह है कि इस बयान और दलील के शब्दों पर ना जाएं बल्कि शब्दों के पीछे की मंशा को समझने की कोशिश करें। अब आधी आबादी को इस सन्नाटे को तोड़ना ही पड़ेगा नहीं तो कल कोई और वरिष्ठ नेता इससे भी ज्यादा गर्म तेल आपके कानों में डालेगा और आप सुनने के लिए मज़बूर होंगी।
प्रतिभा राय
इस बयान से प्रबुद्ध सामाजिक सरोकारों से जुड़े हुए समाजवादी पार्टी के नेता का बयान तो आज की तुच्छ राजनीति की चरम सीमा पार कर जाता है।लेकिन इस कथन पर सफाई तो बर्दाश्त के काबिल ही नहीं है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने महिलाओं पर सीटी बजाने के अपने बयान पर दलील देते हुए कहा कि उन्होंने यह बयान जानबूझकर दिया था।मुलायम ने कहा कि इन शब्दों को इस्तेमाल करने का मकसद यह था कि इससे लोगों का माथा ठनके और महिला आरक्षण बिल पर चर्चा हो।
क्या हो गया है आज के राजनेताओं को,किस स्तर की राजनीति की जा रही है, एक वरिष्ठ समाजवादी नेता से इस तरह के बयान की उम्मीद की जा सकती है क्या,क्या इससे पहले महिला आरक्षण बिल पर चर्चा नहीं हो रही थी।ऐसा सभी लोग सोच और कह सकते हैं।
लेकिन बिल्कुल सही कहा है मुलायम जी आपने ,आपके बयान से तो माथा ठनक ही रहा था,रही सही कसर बयान पर दलील ने पूरी कर दी।
अगर आज लोहिया होते तो अपने इस काबिल सपूत की काबिलियत पर गर्व से सिर ऊंचा कर रहे होते।आखिर इस सोए समाज को जगाने के लिए उसने अपनी पूरी राजनीति न्यौछावर कर दी।ये भी नहीं सोचा कि इस बयान के बाद समाज में उनकी क्या छवि रह जाएगी।
समाजवादी नेता महिला आरक्षण बिल के मुद्दे पर हर तबके की महिला को बहस के लिए जगाना चाहते हैं।आज महिलाएं इस कदर सो रही हैं कि उनके कानों में जबतक गर्म तेल नहीं डाला जाएगा तब तक ये यूं ही सोती रहेंगी।इस बयान और दलील से ज्यादा गर्म तेल क्या होगा? अगर इस देश की महिलाएं अभी भी नहीं जागी तो मुलायम सिंह यादव जी का बलिदान बेकार हो जाएगा।कृपया सभी महिला बुद्दिजावियों से विनम्र आग्रह है कि इस बयान और दलील के शब्दों पर ना जाएं बल्कि शब्दों के पीछे की मंशा को समझने की कोशिश करें। अब आधी आबादी को इस सन्नाटे को तोड़ना ही पड़ेगा नहीं तो कल कोई और वरिष्ठ नेता इससे भी ज्यादा गर्म तेल आपके कानों में डालेगा और आप सुनने के लिए मज़बूर होंगी।
प्रतिभा राय
बहुत सही... गर्म तेल के खिलाफ आप लोग जरूर लामबंद हो जाइए... अपने साथ साथ देश का भी ख्याल रखें... काफी जरूरत है...
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