-क्या वास्तव में पंख कतरने की कोशिश की जा रही है?
-पंख कतर देने से उड़ान रुक जाएगी?
-किसी को उड़ान भरने के लिए किस चीज़ की ज़रुरत होती है?[सिवाय पंक्षियो के]
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एक सार्थक बहस शुरु करने की कोशिश....
गुरुवार, 18 मार्च 2010
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ये तो सार्थक बहस होगी. पर किसके कतरे जाते हैं, जिनकी उड़ान समर्थों को अच्छी न लगे. कारण कुछ भी हो सकता है. उनकी उड़ान उन्हें नीचा न बना दे, गर वे आसमान में बातें करने लगे तो जमीन पर कौन पूछेगा उन्हें? लेकिन ये जरूरी तो नहींकि उनकी ये कोशिश कामयाब ही हो जाए. इस लिए बहस बहुत उचित है. हमारे प्रबुद्ध ब्लॉगर इस पर अपनी निष्पक्ष राय अवश्य ही व्यक्त करेंगे.
जवाब देंहटाएंपंख कतरें जाने तो लड़की के जन्म से ही शुरु हो जाते हैं।थोड़ी बड़ी होती लड़की,उड़ान ना भर ले।एक दहशत होती है मां-बाप को जो अक्सर सुनायी दे जाती है कि फलां कि लड़की के तो आजकल पंख लगे हुए हैं..फलां की लड़की बहुत उड़ रही है,ज्यादा छूट ना दो नहीं तो फुर्र हो जाएगी।ये समाज और दहशत ही पंख कतरने को विवश करता है।कृपया इससे बचें। राखी बख्शी
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