ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पांच से बढ़ाकर लगभग 12 प्रतिशत कर दी गयी।चलो कहीं तो कुछ भागीदारी का प्रतिशत बढ़ा।महिलाओं की इस भागीदारी पर थोड़े देर के लिए खुश होकर उसे यूं ही ना छोड़ दे।बल्कि अपने हक और बेहतरी की दिशा में प्रयास जारी रखें।..इसी मुबाकरबाद के साथ अब खबर की तरह पढ़ लें...हालांकि यह समझा जा रहा था कि महिलाओं की भागीदारी तीस प्रतिशत तक बढ़ेगी। बोर्ड का आज जो चुनाव हुआ उसमें बोर्ड कार्यकारिणी में पांच महिलाएं और शामिल की गयीं। इनमें बेगम नसीम इक्तेदार अली, डा. रूखसाना लारी, डा. सफिया नसीम (सभी लखनऊ), डा. अस्मा जहरा और नूरजहां शकील(कोलकाता) हैं। बोर्ड में अब कुल तीस महिला सदस्य हो गयीं हैं। इस तरह अब उनका प्रतिनिधितत्व पांच से बढ़कर लगभग 12 प्रतिशत हो गया है। मुस्लिम महिलाओं को बोर्ड में अपना प्रतिनिधित्व 30 प्रतिशत हो जाने की आस बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना (डा.) कल्बे सादिक के इस आश्वासन से बंधी थी कि बोर्ड में महिलाओं के 30 प्रतिशत प्रतिनिधित्व का प्रस्ताव बोर्ड के इस अधिवेशन में रखा जाएगा। मौलाना सादिक ने मुस्लिम महिलाओं को यह भरोसा अक्टूबर-09 में भारतीय मुस्लिम महिला आन्दोलन के एक सम्मेलन में दिया था लेकिन उस समय ही बोर्ड के अन्य सदस्य मौलाना कल्बे सादिक के इस बयान से नाराज दिखायी देने लगे थे। बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली और जफरयाब जीलानी ने मौलाना सादिक के इस बयान का खुला विरोध करते हुए उसी समय कहा था कि बोर्ड के किसी फैसले के पहले ऐसा कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि बोर्ड में महिलाओं की संख्या पर्याप्त है।
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