उड़ान पर आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है..ज़िंदगी का जंग जीतना है तो हौसला कायम रखिए..विश्वास करें सफलता आपके कदम चूमेगी..

मंगलवार, 6 मार्च 2018


आज महिलाएं घर की दहलीज से ही बाहर नहीं निकली है... बल्कि उन्होंने अपने हुनर से ये साबित कर दिया कि अंतरिक्ष में उड़ान भरने से लेकर रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने में किसी से पीछे नहीं है... हर उस काम को आज महिलाएं सफलतापूर्वक कर रही हैं जिन पर कभी पुरुषों का एकाधिकार था... राधिका कुमारी एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने केवल खुद को बल्कि अपने साथ सैकड़ों उन महिलाओं को ऐसे काम से जोड़ा जिन पर अभी तक पुरुषों का वर्चस्व था.. इनकी ही बदौलत जयपुर की सड़कों पर आज कई महिलाएं फर्राटे से रिक्शा चला रही हैं....आशा सैनी रेनू जैसी सैकड़ों महिलायें और लड़कियां जो आज अपने पैरों पर खड़ी है इनके हौसलो को पंख दिए है राधिका कुमारी ने... राधिका कहती है कि जब भी महिला ड्राइवर से मिलती हूं तब तब मुझे एहसास होता है कि महिलाओं के पास एक खास आंतरिक शक्ति होती है...वो मेहनती तो होती ही है साथ ही हर टास्क करने के लिए तैयार रहती है... राधिका कुमारी जिस कंपनी की डायरेक्टर हैं उसमें साथ काम करने वाली महिलाओं को शेयर होल्डर बनाया गया है.. ये कंपनी उन महिलाओं लिए काम करती है जो आर्थिक रूप से कमजोर है और स्लम एरिया में रहती ैं.. राधिका का मोटिवेशन ही था जिसने इनको आत्म निर्भर बनाया....आशा सैनी औऱ रेनू जैसी महिला चालक आज देश विदेश से आने वाले पर्यटकों को गुलाबी नगरी की सैर करवाती है...महिलाओं के लिए ट्रक, ट्रेन और हवाई जहाज चलाना आसान है...क्योंकि  में ना तो

पब्लिक से सीधा कोई लेन देन होता है और ना ही असुरक्षा की कोई भावना होती है... ऑटो चलाना या रिक्शा चलाना उन सबसे अलग है... ऑटो चलाने वाली महिलाओं पर घरेलू जिम्मेदारी... व्यावसायिक दबाव के साथ साथ अनापेक्षित माहौल....सड़क हादसों और समाज की बुरी नज़रों का डर एक साथ हावी रहता है...हालांकि इन महिलाओं को तैयार करना इतना आसान नहीं था....राधिका और उनके साथी कैलाश सांचोली ने कच्ची बस्तियों में जा कर इन महिलाओं को तैयार किया.. पुरूषों के वर्चस्व वाले पेशे में आने से जहाँ महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है.... वही लोगों की धारणा में भी बदलाव आने लगा है...

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